



व्यापार मंडल ने ऑनलाइन ट्रेडिंग का किया विरोध
रिपोर्ट – संवाददाता सुमित गुप्ता
हरदोई – उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल ने ऑनलाइन व्यापार के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है। उन्होंने एडीएम को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा,* हरदोई,हम आपका ध्यान भारतीय ई. कॉमर्स उद्योग में विनियामक निरीक्षण की तत्काल आवश्यकता की ओर आकर्षित करना चाहते हैं। ई. कॉमर्स ने कुछ ऐसी प्रथाओं को जन्म दिया है जो निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को खतरे में डालती है विशेष रूप से व्यापारी, एमएसएमई खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं को प्रभावित करती है।विकसित एवं आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को तमी पूरा किया जा सकता है। जब स्थानीय उत्पाद, स्थानीय व्यापार एवं स्थानीय पयर्टन को बढ़ावा दिया जायेगा। जिसके लिए व्यापार मण्डल सतत प्रयत्नशील है। लेकिन यह ई-कामर्स कम्पनियां कानूनो का उल्लघंन करते हुये उसमे बाधक बन रही है।
व्यापार और एमएसएमई क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और यह अनैतिक प्रथाओं से लगातार चुनौती का सामना कर रहा है जिन्हें अगर अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो यह इसके विकास व्यापार और जीडीपी में योगदान को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
जिसके मुख्य कारण निम्न है-
1. ई. कॉमर्स प्लेटफार्म पर विक्रेताओं का अनिवार्य केवाईसी किया जाना चाहिए। केवाईसी पारदर्शिता बढ़ाएगा, वैध एमएसएमई की रक्षा करेगा और कर नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करेगा।
2. अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी बड़ी ई. कॉमर्स दिग्गज कंपनियों ने लगातार भारी वित्तीय घाटे की सूचना दी है उच्च बिक्री मात्रा के बावजूद यह नुकसान इस बात का प्रत्यक्ष परिणाम है कि जहां एमएसएमई और पारंपरिक खुदरा विक्रेताओं सहित छोटे प्रतिस्पर्धियों को बाहर करने के लिए उत्पादों को अस्थिर दरों पर बेचा जाता है।
3. ई. कॉमर्स प्लेटफार्म को थोक विक्रेताओं के रूप में कार्य नहीं करना चाहिए। इससे एमएसएमई और छोटे खुदरा विक्रेताओं को नुकसान होता है जो इस तरह की कीमतों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते यह सुनिश्चित करने के लिए विनियामक हस्तक्षेप की आवश्यकता,,. कई प्लेटफार्म अपनी इन हाउस या सहायक विक्रेता कंपनियों को विशेष रूप से मूल्य निर्धारण और दृश्यता के मामले में तहरीज देते हैं यह प्रतिस्पर्धा को विकृत करता है और स्वतंत्र एमएसएमई विक्रेताओं को नुकसान पहुंचाता है हम सभी विक्रेताओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए ऐसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाने की सलाह देते हैं।
5. बड़े प्लेटफार्म द्वारा दी जाने वाली कैश बैक और ब्याज मुक्त योजनाएं असमान खेल का मैदान बनती हैं क्योंकि वह ग्राहकों को आकर्षित करती हैं जबकि छोटे एमएसएमई विक्रेता सामान प्रोत्साहन देने का जोखिम नहीं उठा सकते यह प्रथाएं अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती है और हम इन योजनाओं पर अंकुश लगाने और नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए विनियमन का अनुरोध करते हैं।
6. ई. कॉमर्स कंपनी के डिलीवरी कर्मियों को कर्मचारियों के रूप में माना जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि उन्हें उचित श्रम सुरक्षा और लाभ प्राप्त हो जिससे लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में श्रमिकों का कल्याण बढ़े।
उपरोक्त मुद्दे विशेष रूप से व्यापार एमएसएमई और उपभोक्ताओं को प्रभावित करते हैं जिन पर तत्काल ध्यान देने और विनियमन अधिनियम (रेगुलेटिंग एक्ट) बनाने की आवश्यकता है।यह विनियमन निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगें, एकाधिकार और अनैतिक प्रथाओ पर अकुंश लगायेगें तथा एमएसएमई और उपभोक्ताओ व खुदरा विक्रेता के हितो की रक्षा करेंगें जिससे भारत की आर्थिक वृद्धि में उनका निरतंर योगदान सुनिश्चित होगा।
हम इस विषय पर आपके द्वारा शीघ्र कार्यवाही की आशा करते है। उपस्थित व्यापारी जिला अध्यक्ष विमलेश दीक्षित,बिभू गुप्ता, अवनीश त्रिवेदी, अजय टंडन, कैलाश गुप्ता,रोहित वसल (नगर मंत्री)विक्रम शर्मा,अभिषेक मिश्रा, युवा संगठन मंत्री दिलदि प्रभार होरीलाल गुप्ता,प्रचार की सरदार जसवन्त सिंह, विमल अवस्थी, महिला जिला अध्यक्ष बिंदु सिंह, सुमित गुप्ता, राजन द्विवेदी,अशोक उपाध्याय,सुरेंद्र सिंह आज व्यापारी उपस्थित रहे।